Menu
blogid : 226 postid : 1149314

क्‍यों फैला हरीश रावत का रायता

सर-ए-राह
सर-ए-राह
  • 45 Posts
  • 1014 Comments

harish rawatएकल पीठ ने पूछा, खंड पीठ ने पूछा। तमाम आम-ओ-खास के जेहन में भी कौंधा–उत्ततराखंड में राष्ट्रापति शासन लगाने की ऐसी भी क्याभ जल्दीभ थी? बड़े-बड़े दानिश-ओ-माहिर कानून के जवाब भी आए। लेकिन तसल्लीकबख्शश नहीं। मैंने भी बंद आंखो के पीछे दिमागी घोड़े दौड़ाए। तभी एक अक्सस उभरा। रंगीन कमीज, खल्वा,ट खोपड़ी, सफेद मूछें और बड़ी-बड़ी आंखें यानी दारूवाला। सवाल उठा, इसी शख्सस की वजह से तो नहीं मचा है इतना उथल-पुथल। इसी शख्सस यानी बेजन दारूवाला ने पिछले दिनों की थी भविष्यषवाणी-हरीश रावत अच्छे व्यक्ति हैं। उत्तराखंड में हरीश रावत की सरकार दोबारा आएगी। वह भी पूर्ण बहुमत के साथ। महान व्यक्ति बनकर लौटेंगे। 2017 में उत्तराखंड का काफी विकास होगा। गंगा मैया साफ होंगी, आदि-आदि। हमें लगता है कि कांग्रेसमुक्त् भारत के अभियान पर निकले भाईलोग देश के शीर्ष ज्योषतिषियों में शुमार दारूवाला की भविष्य्वाणी से आतंकित होकर हड़बड़ी में कदम उठा बैठे। सोचा, अभी से सूबे की सरकारी मशीनरी पर अपना कब्जा हो जाएगा तो चुनावी फिजा बनाने में मदद मिल जाएगी। दारूवाला की बात सही भी साबित हो सकती है। इसके संकेत मिलते हैं उनके बेटे नुस्त्र दारूवाला की भविष्यषवाणी से। दारूवाला जूनियर ने कहा था-रावत को पार्टी वालों से ही थोड़ा सावधान रहने की जरूरत है। आशंका सही साबित हुई। पार्टी वालों ने ही हरीश रावत को कुर्सी से उलटा दिया।
एक बात और। एक वजह और। उत्ततराखंड कुमाऊं और गढ़वाल के नाम से दो हिस्ंोसस में बंटा है। इतिहास कुमाऊं के चंद और गढ़वाल के पाल राजाओं में मारकाट की गवाही देता है। यही हाल अबके सियासी राजाओं की भी है। इनकी भी नहीं बनती। कुमाऊं के क्षत्रपों में शामिल हैं विकास पुरुष एनडी तिवारी, हरीश रावत, भगत सिंह कोश्या री तो गढ़वाल में वीसी खंडूरी, निशंक, विजय बहुगुणा और सतपाल महाराज। इनमें छह मुख्य्मंत्री रह चुके हैं। सिर्फ एनडी बा‍बा ही अकेले ऐसे हैं, जो पांच साल अपनी सरकार धकेल-धकेल कर निकाल ले गए। बाकी सब बीच-बीच में ही लुढ़कते गए। अंदरखाने ही सही, इन घटनाक्रमों में कुमाऊं-गढ़वाल फैक्ट्र जरूर हावी रहा है। इस बार भी हरीश रावत की कुर्सी उलटने में गढ़वाल के ही दो क्षत्रपों की खासी भूमिका रही-हरक सिंह रावत और विजय बहुगुणा। जब विजय बहुगुणा मुख्य्मंत्री थे, हरीश रावत ने भी कम कांटे नहीं बोए थे। बहुगुणा को चलता करवाकर खुद मुख्य्मंत्री बने थे। हरक सिंह रावत का भी रास्तात रोका था। दुश्म्न का दुश्म्न दोस्त् की तर्ज पर अबकी बार रावत-बहुगुणा की जोड़ी ने रायता फैला दिया।

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh