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कितना सच कितना झूठ

सर-ए-राह
सर-ए-राह
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वैसे तो मैं रोज किसी न किसी टीवी चैनल पर अतुल्‍य मध्‍य प्रदेश देखता था। चौंकता था, दाद देता था क्‍या विज्ञापन बनाया है। क्‍या कमाल की हैंडशैडोग्राफी है। लेकिन जिस द‍ि‍न से आइपीएस नरेंद्र कुमार की हत्‍या हुई, एक मिनट सात सेंकेंड के इस विज्ञापन को देखकर भय लगने लगा है। एमपी अजब है की लंबी टेर के साथ यह वीडियो जैसे-जैसे आगे बढ़ता है, सचमुच लगता है कि एमपी यानी मध्‍य प्रदेश वाकई कितना अजब है। कितना गजब है मुख्‍यमंत्री शिवराज सिंह का मध्‍य प्रदेश। यहां एक-दो नहीं, सैकड़ों शेर की गूंजती आवाज के साथ जब शेर दौड़ते हैं तो लगता है कि माफिया की भीड़ और तरह-तरह की आकृतियां बनाने के लिए ऊपर-नीचे उठते-गिरते हाथ फिर किसी नरेंद्र कुमार को दबोचने जा रहे हैं। यहां संगमरमर खुदता नहीं, छूता आसमान है–का दावा खालिस झूठ लगता है। रेत माफिया, खनन माफिया की पूरी फेहरिस्‍त आंखों के सामने नजर आने लगती है। यह वही अतुल्‍य मध्‍य प्रदेश हैं, जहां जांबाज आइपीएस अफसर को ट्रैक्‍टर से रौंद कर मार दिया जाता है और यहां की पुलिस कहती है कि महज एक्‍सीडेंट था। चलिए मान लिया कि नरेंद्र कुमार की मौत में माफिया का हाथ नहीं था। लेकिन नरेंद्र कुमार की मौत के ठीक एक दिन बाद पन्‍ना में एसडीएम और आइपीएस अफसर पर खनन माफिया ने फायर झोंके, क्‍या वह भी महज हादसा था? एक इंग्लिश न्‍यूज चैनल पर मुंह बांधे और कंधे पर बंदूक चढाए एक शख्‍स साफ-साफ इकबाल करता है कि खनन माफिया सक्रिय हैं। हमसे जब‍रन खनन कराया जाता है। इसकी जड़ में हैं बेरोजगारी। रोजगार मिले तो लोग यह काम छोड़ सकते हैं। पूरे सूबे के छात्रों को पेट के बल लिटाकर सूर्य नमस्‍कार कराने वाली मध्‍य प्रदेश सरकार पता नहीं कब लोगों को रोजगार उपलब्‍ध कराने और शिक्षित कराने के बारे में सोचेगी। नसरुल्‍लाहगंज इलाके में 200 करोड़ का खनन घोटाला भी कहां तक गलत है, कहां तक सही इसकी जांच कराने पर कितनी तवज्‍जो दी गई, यह तो मध्‍य प्रदेश सरकार ही बताएगी। लेकिन कुछ तो हकीकत इसमें नजर आती ही है। यहां परमिट 16 हेक्‍टेअर की और खनन 377 हेक्‍टेअर में। चंबल रेंज में खनन पर सात साल पहले अदालत ने प्रतिबंध लगाया था, लेकिन खनन हो रहा है। 5000 करोड़ का पॉवर घोटाला भी इस सूबे के नाम जुड़ रहा है। इसको लेकर लोकायुक्‍त में शिकायत भी दर्ज कराई जा चुकी है। ग्‍वालियर के निकट सिरोली में अरबों की जमीन जो जनता की थी, उसे निजी बताकर बिल्‍डरों के हवाले कर दिया जाता है।मेडिकल कॉलेजों में 114 मुन्‍ना भाई फर्जी तरीके से एडमिशन ले लेते हैं। आरटीआइ कार्यकर्ता शेहला मसूद का कत्‍ल कर दिया जाता है और इसमें सत्‍तारूढ़ दल के एक राजनेता का नाम जुड़ जाता है।सीबीआइ हकीकत जानने के लिए पॉलीग्राफी करा चुकी है। और न जाने कितने आरोप-प्रत्‍यारोप यहां की सरकार पर चस्‍पा होते रहे हैं। फिर भी अतुल्‍य मध्‍य प्रदेश कहता है–सबको देता शांति का फरमान है।

MP Ajab Hai Sab Se Ghazab Hai

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