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भउजी भइली सरसों के फूल

सर-ए-राह
सर-ए-राह
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gulal all.bmpसबसे पहले मां वीणा वादिनी को प्रणाम। आज माघ शुक्‍ल पंचमी है। यानी बसंत पंचमी।  माना जाता है कि आज ही के दिन भगवान ब्रह्मा के मन में वाग्‍देवी सरस्‍वती अवतरित हुई थीं। इसी दिन भगवान कृष्‍ण ने मां सरस्‍वती की पूजा-अर्चना की थी। तब से सरस्‍वती पूजन की परंपरा चली आ रही है। हम भोजपुरियन के गांव में तो सरस्‍वती पूजा के साथ ही आज से फगुआ की तैयारियों को किक-गियर लग जाता है। दहन के लिए आज ही रखी जाती है होलिका की लकड़ी। धीरे-धीरे लकडि़यों का पहाड़ खड़ा हो जाता है। गांव-घर में परदेशियों के आने का इंतजार शुरू हो जाता है। एक और परंपरा है-आज के दिन शिवजी के मंदिर में बड़-बुजुर्ग, दोस्‍त-दुश्‍मन सबको गुलाल लगाकर ढोलक पर थाप के साथ फागुन की विधिवत शुरूआत करने की। फगुआ गाने की शुरुआत। कम से कम पांच ताल फगुआ। इसलिए आप सब से गुस्‍‍ताखी माफ की गुजारिश भी। यह गुजारिश इसलिए कि मुझ  पर तो आज से फागुन का असर हो गया है।  फागुन का असर हो और मन महक-बहक न जाए, ऐसा हो नहीं सकता। भरि फागुन बुढ़वा देवर लागे—–!  यानी बुढ़वा भी फागुन में जवान। मैं तो फिर भी–अभी तो मैं जवान हूं। लेकिन जमाने ने करवट ली है। सात समंदर पार से तैर कर वेलेंटाइन बाबा का दिन आ गया है। उसके आगे मधुमास भी सांष्‍टांग दिख रहा है। ज्‍यादातर गांवों में बैठकी, ताल ठोकाई और फगुआ गवाई की परपंरा  भी गुजरे जमाने की बात होती जा रही है। गांव के तकरीबन 70 फीसदी ऐसे लोग, जिन पर फाग सिर चढ़कर बोलता था, अब शहरी हो गए हैं। उनमें मैं भी शामिल हूं। इसलिए चलिए मैं और आप मिलकर परंपरा को यहीं से कुछ आगे बढ़ाते हैं। पांच ताल फगुआ गा लेते हैं–
 -आजु बिरज में हरि होरी मचायो
इत से निकली नवल राधिका
उत से कुंअंर कन्‍हाई
खेलत फाग परस्‍पर हिलि-मिलि
शोभा बरनी ना जाई
आजु बिरज में हरि होरी मचाए
—-
-ई रंग काहां से लेअइल बलमुआ
ई रंग काहां से ले अइलअ
टपकी-टपकी मोरी चुनर भीगे
ई रंग काहां से ले अइलअ
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-गोरी रस ले ले गलिया में खाड़
आहो लाला रस ले ले गलिया में खाड़
है कोई रसिया रस के लेवइया
गोरी रस ले ले गलिया में खाड़
—-
-भउजी भइली सरसों के फूल
भइया गुलरि होई गइले
बहे पवन झकझोर
मदन मारे जोर
भइया गुलरि भइले
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-पिया रंग दअ ना चुनरिया बसंती
आइ गइल फागुन के बाहार
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इसी के साथ आप सभन को बसंत पंचमी की हार्दिक शुभकामनाएं। इसके साथ ही आप भी कीजिए मधुमास का स्‍वागत, लगाइए अपने प्रियजनों को गुलाल  और करिए फागुन की शुरुआत। मैं भी जा रहा हूं पूजा-पाठ करने। इसके बाद निकलूंगा किसी ऐसी भउजाई या गोरी-गुलनार की तलाश में, जिसे गुलाल लगा सकूं और मैं भी गुलाबी हो जाऊं।

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