मेरा दिल कांप रहा है
दिल कांप रहा है। सोच रहा हूं, कहीं छिप जाऊं। वजह आप पूछें या ना पूछें, मैं बता दे रहा हूं। गणतंत्र दिवस करीब आ रहा है इसलिए। लोग कह रहे हैं कोई नई आग लगने वाली है। मेरी बात पर यकीन न हो तो मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी जम्मू-कश्मीर के सचिव मोहम्मद यूसुफ तारीगामी की सुन लीजिए। तारीगामी साहब फरमाते हैं-भारतीय जनता पार्टी लाल चौक में तिरंगा फहराने की आड़ में सियासी रोटियां सेंक रही है। अगर वह अपने फैसले से नहीं हटी तो कश्मीर में नई आग लग सकती है। कुछ इसी तर्ज पर जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट के सर्वेसर्वा यासीन मलिक भी धमका चुके हैं। यासीन मलिक का कहना है जम्मू कश्मीर किसी की जागीर नहीं और न यह भारत-पाकिस्तान का कोई हिस्सा। भाजपा सिर्फ वोट बैंक की सियासत कर रही है। उसके इन इरादों से न सिर्फ जम्मू कश्मीर में बल्कि पूरे भारतीय उपमहाद्वीप में आग लग सकती है। ऐसे में सवाल उठता है, मलिक साहब कश्मीर आपकी जागीर कैसे हो गया। आपको अपनी शरीक-ए-हयात तक तो कश्मीर में नहीं मिली, कैसे मानें कि कश्मीर से आपका कोई दिली रिश्ता भी है। आप एक पाकिस्तानी लेकर आए। खैर, यासीन मलिक से इससे ज्यादा उम्मीद भी बेमानी है। लेकिन खल जाती है जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला की बात। वह कहते हैं–मुझे आज तक यह समझ में नहीं आया कि वर्ष 1992 के बाद अब ही भाजपा को लालचौक में 26 जनवरी को झंडा लहराने का ख्याल क्यों आया। भाजपा की इस रैली के बहाने कुछ और लोग भी राज्य में अशांति फैलाने की साजिश रचेंगे। जनाब उमर साहब, सवाल एक आपसे भी-राज्य में शांति व्यवस्था का जिम्मा किसका है, राज्य सरकार का, आपका या यासीन मलिक का। क्या कोई विरोध करेगा तो लाल किला पर भी तिरंगा नहीं फहराया जाएगा। क्या कोई विरोध करेगा तो आपकी टेबिल से तिरंगा हटा दिया जाएगा। भारतीय संविधान प्रदत्त अधिकारों को महफूज रखने में आप सक्षम हैं या नही हैं। आपकी फोर्स किस दिन काम आएगी। खामोशी उस कांग्रेस की भी खलती है, जिसकी गोद में बैठकर उमर साहब जम्मू-कश्मीर की बागडोर थामे हुए हैं। क्या तारीगामी साहब की मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी भी इस बात से इत्तेफाक रखती है कि लालचौक पर भाजपा या किसी और संगठन-पार्टी या व्यक्ति को तिरंगा नहीं फहराना चाहिए। कब तक हम इन यासीन मलिकों की धमकी में आकर सुतुरमुर्ग की तरह रेत में सिर घुसाते रहेंगे। रही बात भाजपा की तो लगता है कि हवा में ही लाठी भांज रही है। यह तो आने वाली 26 तारीख ही बताएगी कि गडकरी साहब या अन्य भाजपाइयों में श्यामा प्रसाद मुखर्जी जैसी हिम्मत आती है या नहीं, लालचौक पर तिरंगा फहरा पाते हैं या नहीं। बहरहाल, मेरा दिल कांप रहा है!!!!
आपको बता दें कि–जहां हुए बलिदान मुखर्जी वह कश्मीर हमारा है– नारे के साथ भाजपा ने कोलकाता से राष्ट्रीय एकता यात्रा रवाना की है। यह यात्रा 11 राज्यों से होते हुए 24 को जम्मू-कश्मीर पहुंचेगी। योजना 26 जनवरी को श्रीनगर के लालचौक पर राष्ट्रीय ध्वज फहराने की है।
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