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बक पर बक बक

सर-ए-राह
सर-ए-राह
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एक गंभीर मसले पर अजीब सी बक बक शुरू हो गई है-बक स्‍टाप्‍स विद यू। बक स्‍टाप्‍स विद मी। बक स्‍टाप्‍स एट माई डेस्‍क, आदि-आदि। चर्चा में यहां चिदंबरम साहब हैं। वह काबिल हैं, मेहनती हैं और नफीस भी। जितनी नफासत से चलते हैं, उतनी ही नफासत से बातें भी करते हैं। सीधे-सीधे मुद्दे पर आने की बजाए अंग्रेजी में मुहावरों से लोगों को उलझा देते हैं और खुद भी उलझ जाते हैं। इसी चार अप्रैल को चिदंबरम पश्चिम बंगाल में नक्‍सा‍लियों के गढ़ लालगढ़ गए थे। पत्रकारों के जरिए पश्चिम बंगाल के मुख्‍यमंत्री बुद्धदेब बाबू को उनकी जिम्‍मेदारियों का अहसास दिला दिया-बक स्‍टाप्‍स विद यू। मुझ जैसे कमजोर अंग्रेजी वाले लोग तो कुछ देर के लिए तो चक्‍कर घिन्‍नी बन गए कि गृहमंत्री महोदय ने कह क्‍या दिया। लेकिन कोलकाता से कामरेड बुद्धदेब ने तमतमाकर माइंड योर लैंग्‍वेज कहा तो लगा कि बक स्‍टाप्‍स में कुछ झोल है। उसी दिन उड़ीसा के कोरापुट में नक्‍सलियों ने दस जवानों को आईईडी लगाकर उड़ा दिया। लेकिन चिदंबरम ने नवीन पटनायक के लिए बक स्‍टाप्‍स विद यू नहीं कहा। ठीक तीसरे दिन छत्‍तीसगढ़ के दंतेवाड़ा में नक्‍सलियों ने कायराना अंदाज में सीआरपीएफ के 76 जवानों को शहीद कर दिया। वहां से लौटे चिदंबरम शुक्रवार को नई दिल्‍ली में ‍सीआरपीएफ के एक कार्यक्रम में गए। बक पीछा करते-करते वहां भी पहुंच गया । उन्‍हें कहना पड़ा-I have been asked directly or indirectly where the buck stops for what happened in Dantewada. I have no hesitation saying the buck stops at my desk. कार्यक्रम से लौटकर चिदंबरम साहब ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और कांग्रेस अध्‍यक्ष सोनिया गांधी को पत्र भेज इस्‍तीफे की पेशकश डाली। यह दीगर बात है कि पेशकश न मंजूर होनी थी, ना हुई। हां, बुद्धदेब बाबू को जरूर संतोष हुआ होगा कि दूसरे को जिम्‍मेदारी का सबक सिखाते-सिखाते खुद को सीखना पड़ गया । दो राय नहीं कि अगर बुद्धदेव बाबू के लिए अमेरिकी मुर्दा (बक स्‍टाप्‍स—)नहीं उखाड़ा गया होता तो चिदंबरम के सामने इस्‍तीफे जैसी पेशकश की नौबत नहीं आती। बहरहाल, नक्‍सल समस्‍या जैसे गंभीर मसले को बक बक में उलझाकर नहीं सुलझाया जा सकता। इसके लिए न तो सिर्फ बुद्धदेव जिम्‍मेदार हैं और ना ही सिर्फ चिदंबरम। यह एक सामूहिक जिम्‍मेदारी है। हम सबकी, पुलिस की प्रशासन की, सरकार की। ऐसे में चिदंबरम की इस्‍तीफे की पेशकश हताश करने  वाली कही जाएगी।
हो सकता है कि चिदंबरम ने पेशबंदी के तहत एक नजीर बनाने की कोशिश की होगी। कोई जिम्‍मेदार बताए उससे पहले ही उसकी बोलती बंद कर देने का पासा फेंका होगा। या फिर भावनात्‍मक आवेग। लेकिन नक्‍सलियों की मौजूदा चुनौतियों को देखते हुए इन तीनों पहलुओं को जायज नहीं ठहराया जा सकता। नक्‍सलियों के खिलाफ जितनी गंभीरता से अ‍भी आपरेशन चल रहे हैं, पहले कभी नहीं चले। नक्‍सलियों की राह में कोई सबसे बड़ा कांटा है तो चिदंबरम। चिदंबरम अगर इस्‍तीफा दे देते हैं तो यह नक्‍सलियों की मन की मुराद पूरी होने जैसी बात होगी। पी चिदंबरम की जगह वह रणछोड़ चिदंबरम कहलाएंगे। ऐसे हालात में दोगुनी ताकत के साथ जवाब के सिवा कोई दूसरा रास्‍ता नहीं है। इतनी बड़ी संख्‍या में जवानों की शहादत पर भावनात्‍मक आवेग स्‍वा‍भाविक है। महाभारत के अर्जुन की तरह घिरे चिदंबरम के सामने मरने-मारने वाले दोनों ही पक्ष अपने हैं। लेकिन युद्ध अवश्‍यंभावी है और युद्ध में सब जायज होता है।
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—-The buck stops here—-
Definition: Responsibility is not passed on beyond this point.
History: U.S. president (1945–1953) Harry S. Truman had a sign with this
inscription on his desk. This was meant to indicate that he didn’t
‘pass the buck’ to anyone else but accepted personal responsibility
for the way the country was governed.

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