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दर्द और भी हैं राजा साहब

सर-ए-राह
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कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह बुधवार को संजरपुर में थे। उत्‍तर प्रदेश के आजमगढ़ जिले के संजरपुर में। यह वही संजरपुर है, जहां के दो नौजवान दिल्‍ली के बटला हाउस मुठभेड़ में मारे गए थे। उनसे जूझते हुए दिल्‍ली पुलिस के इंस्‍पेक्‍टर एमसी शर्मा शहीद हो गए थे। दिग्‍गी राजा कहते है कि कुछ पढ़े-लिखे नौजवानों का अपराध की ओर उन्‍मुख होना चिंता की बात है। वाकई चिंता की बात है। इसमें कोई दो राय नहीं। लेकिेन, संजरपुर ही क्‍यों, यहां तो पूरे कुएं में भांग पडी है। सरायमीर भी जाना चाहिए था दिग्विजय को, अबु सलेम के गांव। वहां भी जाकर देखना चाहिए था कि सलेम को अंडरवर्ल्‍ड डान बनाने के लिए कौन से हालात जिम्‍मेदार थे। मुन्‍ना बजरंगी के गांव भी जाना चाहिए था । जरनैल सिंह भिंडरावाला के गांव जाना चाहिए। इससे बेहतर केस स्‍टडी तो कोई हो ही नहीं सकती। इसके लिए तो विद्वान सांसदों की एक समिति बनानी चाहिए। ताकि पढ़ा-लिखा हो या अनपढ़, कोई भी शख्‍स अपराध की ओर उन्‍मुख क्‍यों हो रहा है, इसकी व्‍यपाक पड़ताल की जा सके। समाधान खोजा जा सके। लेकिन दिग्विजय संजरपुर जाकर रामरथ यात्रा को जिम्‍मेदार ठहराते हैं। और यहीं से उनकी नीयत पर शक की बु‍नियाद पड़ती है। इससे तो यही जाहिर होता  है कि वह साफ मन से संजरपुर  नहीं गए। कहीं न कहीं उनके मन में कोई सियासी गांठ जरूर खुल-बंध रही थी। राजा साहब को पटना का राहुल राज शायद ही याद  हो। राहुल राज को मुंबई पुलिस ने घेराबंदी कर सरेआम मौत के घाट उतार दिया था, एक आतंकवादी की तरह। राहुल राज भी पढ़ा लिखा नौजवान था। लेकिन राज ठाकरे जैसे नफरत बांटने वालों की साजिश का शिकार होकर आपा खो बैठा था। राहुल राज का कहीं कोई आपराधिक रिकार्ड नहीं था। दिग्विजय सिंह को गाजियाबाद का रणवीर भी याद नहीं होगा, जिसे देहरादून की पुलिस ने मुठभेड़ बताकर मार गिराया था। रणबीर मामले में पुलिस की कलई तो खुल भी चुकी है। एमबीए किए रणबीर को लेकर उसके घर वालों ने न जाने कितने सपने देखे होंगे। लेकिन दिग्विजय सिंह को उससे क्‍या मतलब। भले ही दिग्विजय यह सफाई दें कि वह बटला हाउस मुठभेड़ को सही या गलत नहीं ठहरा रहे हैं। लेकिन उनकी बातों के निहितार्थ तो उनकी मंशा पर सवाल खड़े करते ही हैं। राजा साहब संजरपुर जाते ही अखबारों को कटघरे में खड़े कर देते हैं।  लेकिन उनकी ही पार्टी उनकी बातों से पूरी तरह इत्‍तेफाक नहीं रखती, ना ही खुलकर उनकी तरफदारी करती है। तभी तो अभिषेक मनु सिंघवी जैसे प्रवक्‍ता भी कहते हैं कि संजरपुर के बारे में दिग्विजय सिंह से ही पूछना बेहतर रहेगा। उम्‍मीद है कि दिग्विजय सिंह अपने राहुल गांधीजी को भी शीघ्र संजरपुर ले जाएंगे। लेकिन संजरपुर की राह में उलेमा काउंसिल से भी मुलाकात होती रहेगी।

 

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